भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक दिवसीय श्रंखला का तीसरा और निर्णायक मुकाबला चेन्नई में आज खेला जाना है। वन डे विश्वकप को ध्यान में रखते हुए दोनो टीमों के बीच ये मुकाबला बहुत महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार ऑस्ट्रेलिया ने टेस्ट सीरीज के शुरू के दोनो मैच हारने के बाद दौरे में शानदार वापसी की है और स्टीवन स्मिथ ने जिस आक्रामक और स्वाभाविक खेल के साथ टीम की अगवाई की है वह वाकई काबिले तारीफ है।
पहले वन डे में ऑस्ट्रेलिया ने खराब बल्लेबाजी की थी जिसकी पूर्ति उन्होंने दूसरे मैच में पूरी की थी। उनके दोनो सलामी बल्लेबाज मिशेल मार्श और ट्रेविस हेड जबरदस्त फॉर्म में है उनसे उसी प्रकार की उम्मीद होगी। जिस तरीके से ये दोनो बल्लेबाज गेंदबाजों पर हावी होकर खेलते है वो किसी भी गेंदबाज को उसकी लाइन लेंथ से भटकाने और मनोबल तोड़ने के लिए काफी है। उनके बाद लबुशाने और स्मिथ हालांकि इस दौरे पर अपनी श्रेष्ठ फॉर्म में नही है जिस तरीके की ये बल्लेबाजी करते है ये अच्छी शुरुआत तो कर रहे है लेकिन उसे बड़ी पारी में नही बदल पा रहे है। वैसे खराब फॉर्म और अच्छी बड़ी पारी के बीच 1 पारी का ही अंतर होता है हो सकता है वो इसी बीच में हो। मध्यक्रम और निचले क्रम में कैमरून ग्रीन अच्छे फॉर्म में है, मैक्सवेल, एलेक्स कैरी और स्टोयनिश अंतिम ओवरों में तेजी से रन बनाने की क्षमता रखते है।
भारत के गेंदबाजों को अपनी गेंदबाजी में काफी सुधार की आवश्यकता है। एक मैच में अच्छा प्रदर्शन कर अगले मैच में खराब गेंदबाजी करना कही न कही उनके अतिआत्मविश्व को दर्शाती है जो कि टीम के लिए घातक है। उन्हें लय को कायम रखना होगा और विकेट टू विकेट गेंदबाजी करना होगी। भारत के पास कोई बाए हाथ का गेंदबाज न होना और कलाई से स्पिन करने वाले गेंदबाज का न होना भी एक कमजोर कड़ी है। फील्डिंग ठीक ठाक है। महत्वपूर्ण मौके पर कैच छोड़ना टीम को संकट में डाल सकता है। उन्हें शार्दुल ठाकुर की जगह यजुवेंद्र सिंह चहल को खिलाना चाहिए क्योंकि चेन्नई की पिच स्पिनर्स के लिए अनुकूल है। शमी, सिराज, हार्दिक, जडेजा, अक्षर और चहल शायद भारत की गेंदबाजी लाइन अप हो सकती है।
पिछले कुछ समय से बाए हाथ के तेज गेंदबाज भारत के सलामी और मध्यक्रम के बल्लेबाजों के लिए सिरदर्द बने हुए है। उनके सामने बल्लेबाजों के हाथ पैर फूलने लग जाते है। यही कारण है कि विपक्षी टीमें अपनी टीम में बाए हाथ के तेज गेंदबाज रखते है। भारत को स्टार्क के शुरुआती स्पैल को सावधानी के साथ आक्रामक तरीके से खेलना होगा। अक्सर सावधानी से खेलने के चक्कर में इतना धीमा खेलने लग जाते है कि मध्यक्रम पर दबाव बड़ जाता है इससे बचना होगा। गिल को बाहर जाती गेंद पर गली और प्वाइंट पर तेजी और सावधानी से कट करना होगा, पिछले दोनो मैच में वह इसी जगह आउट हुए है। हिटमैन रोहित शर्मा अंदर आती गेंदों पर काफी असहज महसूस कर रहे है क्योंकि उनका बल्ला गेंद पर आने में लेट हो रहा है जिसके कारण वह एलबीडब्ल्यू या बोल्ड हो रहे है और बाहर जाती गेंद पर भी उनका फुटवर्क सही नही होने के कारण एज लग रहे है। सूर्यकुमार यादव तो जैसे सोचकर ही आते है कि पहली ही गेंद से हिट करना है। उन्हें इस सोच को बदलना पड़ेगा। अंदर आती गेंद पर इस तरह का जोखिम लेना आ बैल मुझे मार की तरह है क्योंकि इसमें स्ट्रोक मिस टाइम होने पर एलबीडब्ल्यू की संभावना ज्यादा रहती है। विराट अच्छी लय में है लेकिन अच्छी शुरुआत को उन्हें “विराट” पारी में बदलना होगा। के एल राहुल ने पहले मैच में जिस दृढ़ता से बल्लेबाजी की थी वैसी ही उनसे उम्मीद होगी। हार्दिक पंड्या को शॉट सिलेक्शन में सावधानी बरतने की जरूरत है। रविन्द्र जडेजा और अक्षर पटेल ने पूरे दौरे पर अपने शानदार ऑलराउंड प्रदर्शन और निचले क्रम में बल्लेबाजी से सभी को प्रभावित करते हुए कई बार महत्वपूर्ण बल्लेबाजी की है।
स्टार्क ने पूरी श्रंखला में भारत के बल्लेबाजों खास तौर से सलामी बल्लेबाजों पर लगाम कसी है। उसका फायदा ग्रीन, स्टोइनिश, और उभरते नए गेंदबाज गेंदबाज नाथन एलिस और एबॉट ने पूरी तरह उठाया है। एडम जंपा को ज्यादा मौका नहीं मिला है लेकिन चेन्नई में वो टीम के लिए एक ट्रंप कार्ड साबित हो सकते है।
फील्डिंग में ऑस्ट्रेलिया ने अविश्वसनीय कैच लेकर अपने स्तर को दर्शाया है। खासतौर पर स्मिथ और लबूशाने।
कुल मिलाकर यदि भारत को श्रंखला जीतना है तो खेल के तीनों क्षेत्र बॉलिंग, बैटिंग और फील्डिंग में शानदार प्रदर्शन करना होगा । वैसे तो कागज पर भारत की टीम काफी मजबूत नजर आती है लेकिन मैदान पर आते ही जोश की कमी नजर आने लगती है। उन्हें ये कहावत “भारत के कागज के शेर, मैदान पर हो जाते है ढेर” को बदलना होगा।
कमेंटेटर और समीक्षक मनोज जैन की कलम से